सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा नागपुर में ‘कॉनकर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025’ का आयोजन
नागपुर, 29 जून 2025 — देशभर में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) से जुड़े कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के नेतृत्व में नागपुर में आज ‘कॉनकर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025’ का भव्य आयोजन किया गया।
भारत में आज भी गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर जैसे एचपीवी-संबंधित रोग चिंताजनक स्तर पर मौजूद हैं। यह महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। ICO/IARC की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर वर्ष लगभग 1.23 लाख नए मामले सामने आते हैं और 77,000 से अधिक महिलाओं की मृत्यु इस बीमारी से होती है।
इस पृष्ठभूमि में आयोजित इस कॉन्क्लेव में देशभर से आए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने एचपीवी संक्रमण के दुष्परिणाम, समय पर टीकाकरण की आवश्यकता और रोकथाम के उपायों पर गहन चर्चा की। प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे:
डॉ. विनोद गांधी, डायरेक्टर, कलर्स मदर एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल
डॉ. मिलिंद मंडलिक, संस्थापक अध्यक्ष, नियोनेटोलॉजी फोरम, नागपुर
डॉ. चारू बाहेती, IVF-ICSI विशेषज्ञ
डॉ. संगीता ताजपुरिया, उपाध्यक्ष, NOGS
डॉ. मौमिता बाग, प्रसूति और कैंसर विशेषज्ञ
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय मराठे ने किया, जबकि डॉ. संजय लालवानी ने किशोरों और उनके अभिभावकों तक सही जानकारी पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि एचपीवी केवल सर्वाइकल कैंसर तक सीमित नहीं है — यह योनि, वल्वा, गुदा, लिंग और मुख के कैंसरों से भी जुड़ा है। 15 से 25 वर्ष के युवाओं में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, इसलिए समय पर टीकाकरण और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।
SII के कार्यकारी निदेशक पराग देशमुख ने कहा,
> “इस कॉन्क्लेव के ज़रिए हम समाज में एचपीवी और इससे जुड़ी बीमारियों को लेकर समझ बढ़ाना चाहते हैं। डॉक्टर, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और आम नागरिक — सभी के बीच संवाद ही इस लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार है।”
कार्यक्रम का समापन संवाद सत्र के साथ हुआ, जहाँ उपस्थित विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी शंकाएं और प्रश्न खुलकर रखे। इस सत्र ने जागरूकता अभियान को और अधिक सशक्त बनाया — ताकि हर व्यक्ति जानकारी के आधार पर निर्णय ले सके और एचपीवी से जुड़े कैंसर का बोझ कम किया जा सके।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के बारे में:
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIIPL), जो सायरस पूनावाला समूह का हिस्सा है, दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। पिछले पांच दशकों से SIIPL सस्ती, गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन उपलब्ध करवा रही है।
भारत की पहली स्वदेशी, लिंग-तटस्थ क्वाड्रिवेलेंट एचपीवी वैक्सीन ‘Cervavac’ लॉन्च करके, SII ने भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है। यह वैक्सीन लड़के और लड़कियों दोनों को दी जा सकती है।
SII की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
दुनिया की पहली ACYWX मेनिंगोकॉकल पेंटावेलेंट वैक्सीन ‘MenFive‘
भारत की पहली स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन ‘Cervavac’
WHO द्वारा मान्यता प्राप्त मलेरिया वैक्सीन R21/Matrix-M™
2 अरब से अधिक COVID-19 डोज़ का वितरण
SII की पुणे स्थित अत्याधुनिक उत्पादन सुविधा की वार्षिक क्षमता 4 अरब डोज़ है और यह अमेरिका, यूके व यूरोप सहित 170 से अधिक देशों में सक्रिय है।
महत्वपूर्ण आँकड़े (स्रोत: ICO/IARC, 2023):
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर: भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर
जोखिम में महिलाएं (उम्र ≥ 15 वर्ष): 51.4 करोड़
वार्षिक नए मामले: 1,23,907
वार्षिक मृत्यु: 77,348
मीडिया प्रतिनिधियों की नाराज़गी: संवाद की कमी खली
इस कार्यक्रम के लिए पत्रकारों को आमंत्रित तो किया गया था, लेकिन उन्हें सवाल पूछने का उचित अवसर नहीं मिला — यह बात कई पत्रकारों ने निराशा के साथ व्यक्त की। कार्यक्रम का स्वरूप काफी हद तक डॉक्टरों के लिए आयोजित ‘कॉन्टिन्युअस मेडिकल एजुकेशन (CME)’ जैसा प्रतीत हुआ।
कुछ वक्ताओं ने अपने भाषण में मीडिया में चल रही टीकाकरण विरोधी खबरों पर चिंता जताई, लेकिन SIIPL के वरिष्ठ अधिकारी केवल डॉक्टरों से संवाद में व्यस्त रहे, और मीडिया से कोई खुला संवाद नहीं किया।
यह समझना ज़रूरी है कि डॉक्टर फार्मा कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण साझेदार होते हैं, क्योंकि वही वैक्सीन की सिफारिश करते हैं। लेकिन यदि मीडिया में गलत जानकारी के प्रसार पर चिंता जताई जा रही है, तो मीडिया से खुलकर बात करना आवश्यक था — ताकि समाज तक सही, वैज्ञानिक जानकारी पहुँच सके।

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