सुधाकर कोहले बने भाजपा के सेनापति, पदवीधर मतदारसंघ में जीत का नया अध्याय लिखने की तैयारी
नागपुर, 6 सितंबर 2025
नागपुर पदवीधर विधान परिषद मतदारसंघ का चुनाव अब सिर्फ़ एक साधारण राजनीतिक जंग नहीं, बल्कि भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। और इस जंग का नेतृत्व सौंपा गया है भाजपा के सबसे भरोसेमंद और जमीनी नेता सुधाकर कोहले को।
कोहले अब सिर्फ़ मतदाता-नोंदणी प्रमुख नहीं, बल्कि इस चुनाव में भाजपा के “सेनापति” हैं—जिनकी रणनीति, संगठन और जनसंपर्क कौशल पार्टी को जीत की दहलीज तक ले जा रही है।
सुधाकर कोहले – जीत का पर्याय
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प्रभावी नेतृत्वकर्ता: कोहले की पहचान एक ऐसे नेता की है जो टीम को केवल दिशा ही नहीं देते, बल्कि साथ खड़े रहकर काम भी करते हैं।
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जनता से गहरा जुड़ाव: शिक्षक से लेकर विधायक तक के सफ़र में उन्होंने आम नागरिकों से आत्मीय संबंध बनाए, जो आज भी उनकी सबसे बड़ी ताक़त है।
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कर्मठ और अनुशासित: हर ज़िम्मेदारी को समयबद्ध और योजनाबद्ध ढंग से निभाना उनका स्वभाव है।
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कार्यकर्ताओं के “अपने” नेता: कोहले कार्यकर्ताओं से केवल संवाद ही नहीं करते, बल्कि उनका दुख-सुख भी बाँटते हैं। यही वजह है कि कार्यकर्ता उन्हें नेता नहीं, परिवार का हिस्सा मानते हैं।
2020 की हार से मिली सीख
2020 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अभिजीत वंजारी ने जीत हासिल की थी। मगर पाँच सालों में वंजारी पदवीधर मतदारसंघ से जुड़े मूल मुद्दे उठाने में नाकाम रहे।
बेरोज़गार स्नातकों की तकलीफ़ें, युवाओं के अवसर, शैक्षणिक गुणवत्ता जैसे विषय कहीं पीछे छूट गए।
यही वजह है कि अब भाजपा को जनता के बीच फिर से एक अवसर मिल रहा है—और इस बार कमान कोहले के हाथ में है।
भाजपा की तैयारी – जीत का गणित
भाजपा ने चुनाव से डेढ़ साल पहले ही तैयारी शुरू कर दी है।
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विश्वविद्यालय परिसरों में जागरूकता अभियान
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नए मतदाताओं का पंजीयन
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पुराने मतदाताओं का पुन: सत्यापन
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कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक संगठित करना
इन सब पर सुधाकर कोहले की गहरी नज़र है। उनका संगठन कौशल और कार्यकर्ताओं के साथ जीवंत संबंध भाजपा को इस बार जीत के सुनहरे समीकरण तक ले जा रहे हैं।
भाजपा के सेनापति
सुधाकर कोहले का यह चुनावी रोल केवल एक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सेनापति की तरह नेतृत्व है।
वे कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रहे हैं, जनता का विश्वास जीत रहे हैं और विपक्ष की रणनीति का जवाब पहले से ही तैयार कर चुके हैं।
सुधाकर कोहले इस चुनाव में भाजपा के “सेनापति” हैं—जो केवल जीत के लिए नहीं, बल्कि पदवीधर मतदारसंघ की अस्मिता और जनता की आवाज़ को फिर से मजबूत करने के लिए मैदान में हैं।
उनकी दूरदृष्टि, जनसंपर्क और कार्यकर्ताओं से आत्मीय रिश्ता भाजपा को 2026 की जीत के और भी क़रीब ले जा चुका है।
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