कबीर मठ फतुहा में गुरुनानक देव की 554 वां प्रकाश उत्स
आचार्य गद्दी कबीर मठ फतुहां में आज गुरु नानकदेव जी महाराज का 554वां प्रकाश उत्सव महंथ ब्रजेश मुनि के संयोजकत्व में मनाया गया। तख्त हरिमन्दिर साहिब गरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह जी ने गुरु का जोत जलाया। इस अवसर पर अपने सत्संगति में उन्होंने कहा सद्गुरु कबीर और नानक देव जी शरीर से दो थे, आत्मा से नानक कबीर एक ही थे। दोनों के लक्ष्य भी एक ही थे। इन दोनों गुरुओं ने अहंकार के अन्धकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाया। संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि जो नानक कबीर से जुड़ता है उसकी आत्मा इंसान से परमात्मा में बदल जाती है।ज्ञानी जी ने कहा यह मठ नानक कबीर का संगम स्थल है, इसलिए यह सिक्खों का अब 8वां तीर्थ स्थल रूप में विकसित होगा। यहॉं होगा संगम गरुद्वारा। यहाँ से गुरु नानक देव सद्गुरु कबीर और गुरूग्रंथसाहिब में संकलित गुरओं की वाणी में निहित ज्ञान का प्रकाश बिहार सहित देश विदेश में फैलेगा। अखंड लंगर की व्यवस्था की जाएगी।ब्रजेश मुनि ने कहा यह पाटलिपुत्र का गौरवशाली केंद्र है फतुहां आचार्य गद्दी। इस मठ के संस्थापक तत्त्वा जीवा पूर्ण गुरु के रूप में सद्गुरु कबीर को वरण किया। सद्गुरु कबीर और गुरु नानकदेव ने मिलकर लोगों का कल्याण करनी के लिए परमार्थ किया।इसके पहले मठ के सह सचिव हृदद नारायण झा ने गुरु नानक देव के ज्ञानोपदेश पर सत्संग किया।
वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय ने जत्थेदार रणजीत सिंह के घोषणा को फतुहां की विशेष उपलब्धि बताया और कहा कि यहाँ सिक्खों का तीर्थ बनने से फतुहां सिक्ख तीर्थ के रूपमें प्रसिद्ध होगा। प्रो0 रामायण प्रसाद यादव ने भी उद्गार व्यक्त किए।