विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस पर नागपुर में भव्य जागरूकता शिविर और कार्यशाला का आयोजन
पद्मश्री संपत रामटेके जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित
नागपुर, 19 जून 2025 – विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस के अवसर पर सिकल सेल सोसाइटी ऑफ इंडिया, नागपुर की ओर से एक विशेष जागरूकता शिविर और कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्था के संस्थापक, पद्मश्री स्व. संपत रामटेके जी को आदरांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था की अध्यक्ष सौ. जया संपत रामटेके जी के प्रास्ताविक भाषण से हुआ। उन्होंने संस्था के सामाजिक कार्यों, उद्देश्यों और सिकल सेल को लेकर चल रहे जनजागरण के प्रयासों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता, प्रख्यात हीमेटोलॉजिस्ट व बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. राहुल अरोड़ा ने सिकल सेल रोगियों के लिए अत्यंत उपयोगी मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि Hydroxyurea नामक दवा सिकल सेल रोगियों के लिए “जीवनरक्षक” सिद्ध होती है। यह दवा डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से लेते रहना चाहिए। साथ ही CBC, LFT, KFT जैसी जांचों के आधार पर यदि सही मात्रा में दवा ली जाए, तो अंगों को नुकसान नहीं होता।
उन्होंने यह भी बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन 5 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए परिवार में डोनर का होना आवश्यक है।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उदय बोधनकर, जो पिछले 35 वर्षों से संस्था से जुड़े हुए हैं, ने विशेष उपस्थिति में अपने अनुभव साझा किए। वे आज भी सिकल सेल रोगियों की सेवा में समर्पित हैं।
श्री अभिजीत राऊत, परियोजना समन्वयक, जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, नागपुर ने UDID कार्ड, दिव्यांग प्रमाणपत्र और शासकीय योजनाओं के लाभ कैसे प्राप्त करें, इस पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इन सेवाओं को सरल बनाने के उपाय भी बताए।
बहार फाउंडेशन के डॉ. अशोक उरकुडे एवं श्री राजेश लोखंडे ने सिकल सेल रोगियों को हमेशा नि:शुल्क परामर्श एवं दवा वितरण का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में नि:शुल्क दवाओं का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए संस्था के पदाधिकारी श्री संजीव गजभिये एवं श्री नीलकंठ पांडे ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। आयोजन की सफलता में रातिराम टेंभूर्णे, प्रीति नगरारे, नरेश भांगे, सुदर्शन पाटिल, धम्म हुमणे, और आदेश नगरारे का विशेष योगदान रहा।
इस कार्यशाला का लाभ 80 सिकल सेल रोगियों एवं उनके अभिभावकों ने उठाया। उन्हें इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हुई और उपचार के संबंध में नयी दिशा मिली।

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