ठाकरे की दमदार पहल पर मंत्री का बड़ा ऐलान — घटिया थैलेसीमिया दवाओं की होगी जांच, विवाह से पहले अनिवार्य HPLC टेस्ट पर भी विचार!
📍 महाराष्ट्र में 12,800 थैलेसीमिया मरीज, विदर्भ और नागपुर में सबसे ज्यादा
नागपुर: महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र में पश्चिम नागपुर के विधायक विकास ठाकरे ने थैलेसीमिया मरीजों की दुर्दशा पर जोरदार आवाज उठाई। ठाकरे के सवालों का जवाब देते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्यमंत्री मेघना साकोरे-बोर्डीकर ने भरोसा दिलाया कि घटिया गुणवत्ता की आयरन केलशन दवाओं की गहन जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मरीजों को केवल उच्च गुणवत्ता की दवाएं ही उपलब्ध कराई जाएं।
मंत्री साकोरे-बोर्डीकर ने कहा कि अब सरकार थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने जा रही है। उन्होंने घोषणा की कि जिन परिवारों में थैलेसीमिया माइनर और मेजर मरीज एक साथ पाए जाते हैं, वहां HPLC टेस्ट को अनिवार्य किया जाएगा। इसके अलावा, विवाह पूर्व HPLC टेस्ट को भी कानूनन अनिवार्य किया जा सकता है या नहीं, इसका गंभीरता से अध्ययन होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टेस्ट अनिवार्य होने से आने वाली पीढ़ियां थैलेसीमिया जैसी घातक बीमारी से बच सकेंगी।
मंत्री ने सदन को बताया कि महाराष्ट्र में फिलहाल करीब 12,800 थैलेसीमिया मरीज हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नागपुर और विदर्भ में हैं। विधायक ठाकरे ने चेताया कि डागा अस्पताल में बनकर तैयार हुआ CVS केंद्र अब तक शुरू नहीं हो पाया है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। उन्होंने इस केंद्र को तुरंत शुरू करने और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए 15 लाख रुपये की विशेष आर्थिक सहायता योजना लागू करने की भी मांग रखी।
ठाकरे ने कहा कि थैलेसीमिया एक आनुवंशिक बीमारी है जिसे सही जागरूकता और चिकित्सा उपायों से काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर लड़का-लड़की विवाह से पहले HPLC टेस्ट कराएं और दोनों पॉजिटिव निकलें, तो उनका विवाह रोकना जरूरी है ताकि बीमारी की चेन टूट सके।
उन्होंने सरकार का ध्यान इस ओर भी खींचा कि नागपुर समेत राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में बजाज कंपनी की घटिया दवाओं की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। बच्चे भी ये दवाएं खाने से मना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या भविष्य में केवल प्रमाणित और ब्रांडेड कंपनियों की गुणवत्तापूर्ण दवाएं ही मरीजों को उपलब्ध कराई जाएंगी?
साथ ही ठाकरे ने यह भी सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए गरीब मरीजों को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है, तो महाराष्ट्र सरकार क्यों पीछे है? नागपुर में सबसे ज्यादा थैलेसीमिया मरीजों को देखते हुए यहां जल्द से जल्द आधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू करने की भी उन्होंने पुरजोर मांग की।
🔍 अब देखना होगा कि ठाकरे की आवाज़ और मंत्री के आश्वासन से हजारों थैलेसीमिया मरीजों को राहत कब और कैसे मिलती है!
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