मातृभाषा पर गर्व, अन्य भाषाओं का सम्मान — यही सच्ची भारतीयता है” – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

Khozmaster
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“मातृभाषा पर गर्व, अन्य भाषाओं का सम्मान — यही सच्ची भारतीयता है” – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

— जेएनयू में छत्रपति शिवाजी महाराज सामरिक अध्ययन केंद्र और कुसुमाग्रज मराठी भाषा केंद्र का भव्य उद्घाटन

नई दिल्ली | 24 जुलाई 2025

मातृभाषा पर गर्व करते हुए हमें अन्य भारतीय भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हर भाषा ज्ञान, संस्कृति और अभिव्यक्ति का अमूल्य माध्यम होती है — ऐसा संदेश महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज अपने उद्बोधन में दिया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कन्वेंशन सेंटर में ‘श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सामरिक और रक्षा विशेष अध्ययन केंद्र’ तथा ‘कुसुमाग्रज मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन केंद्र’ का उद्घाटन मुख्यमंत्री फडणवीस के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ।

इस अवसर पर मराठी भाषा मंत्री डॉ. उदय सामंत, जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, तंजावुर राजघराने के छत्रपति बाबाजीराजे भोसले, कुलसचिव प्रो. रविकेश, साथ ही अनेक सांसद, प्राध्यापक और मराठीप्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्धनीति और सामरिक दूरदर्शिता पर अध्ययन प्रारंभ होना अत्यंत गौरव की बात है। युनेस्को ने शिवराय के 12 किलों को ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ के रूप में विश्व धरोहर घोषित किया है, जो इस केंद्र के वैश्विक महत्व को दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “शिवाजी महाराज ने केवल अभेद्य दुर्ग नहीं बनाए, बल्कि स्वराज्य का विचार समाज में रोपित किया और मराठा समाज में विजय की आकांक्षा उत्पन्न की। उनकी रणनीतियों का आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन और प्रशंसा होती है। वे भारतीय सामरिक परंपरा के अमर प्रतीक हैं।”

मुख्यमंत्री ने मराठी को ‘अभिजात भाषा’ का दर्जा मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मराठी एक प्राचीन, समृद्ध और सशक्त भाषा है। भारतीय नौसेना के ध्वज पर मराठी राजमुद्रा की उपस्थिति इसका प्रमाण है। आज यह राजमुद्रा दिल्ली में भी स्थापित हो रही है। मराठी ने रंगमंच, साहित्य और कविता के क्षेत्र में सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। हर विश्वविद्यालय में मराठी भाषा पर गहन शोध होना चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि जेएनयू परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की अश्वारूढ़ प्रतिमा स्थापित की जाएगी। “यह प्रतिमा देशभक्ति, बलिदान और सेवा भावना की प्रेरणा बनेगी,” ऐसा विश्वास उन्होंने व्यक्त किया।

“मराठी अध्ययन केंद्र – सांस्कृतिक स्वाभिमान का क्षण” – डॉ. उदय सामंत

मराठी भाषा मंत्री डॉ. उदय सामंत ने कहा, “जेएनयू में मराठी भाषा केंद्र की स्थापना केवल शैक्षणिक पहल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक स्वाभिमान का ऐतिहासिक क्षण है।”

उन्होंने बताया कि कश्मीर में ‘मराठी पुस्तकों का गाँव’ बनाने की योजना है, और विदेशों में ‘मराठी बृहन्मंडल’ की स्थापना का कार्य भी प्रारंभ किया जाएगा। साथ ही उन्होंने नाशिक में होने वाले ‘विश्व मराठी सम्मेलन’ के लिए आमंत्रण भी दिया और महाराष्ट्र के विद्यार्थियों को जेएनयू में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयासों की घोषणा की।

“मराठी साहित्य और कविता की प्रतिष्ठा अत्यंत उच्च” – प्रो. शांतिश्री पंडित

जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित ने मराठी साहित्य, नाटक और कविता की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ‘सिंधुदुर्ग संवाद’ नामक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा, “जेएनयू समानता, गुणवत्ता और नवाचार की नींव पर खड़ा अग्रणी विश्वविद्यालय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 50 भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने का हमारा प्रयास है।” उन्होंने मराठी छात्रों से जेएनयू में प्रवेश लेकर इस अभियान में भाग लेने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में गणमान्य उपस्थित

इस भव्य आयोजन में सांसद स्मिता वाघ, धनंजय महाडिक, मेधा कुलकर्णी, हेमंत सावरा, अनिल बोंडे, अजित गोपछड़े, पूर्व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी, जेएनयू के प्राध्यापकगण और देशभर से आए मराठी प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 

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