अल्पसंख्यक समाज की तालीमी तरक़्क़ी के लिए बुलंद हुई आवाज़! मार्टी संस्था के शीघ्र क्रियान्वयन की माँग को लेकर ज़ोरदार जनआंदोलन की तैयारी

Khozmaster
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अल्पसंख्यक समाज की तालीमी तरक़्क़ी के लिए बुलंद हुई आवाज़!

मार्टी संस्था के शीघ्र क्रियान्वयन की माँग को लेकर ज़ोरदार जनआंदोलन की तैयारी

✍️ विशेष रिपोर्ट | छत्रपति संभाजीनगर से 7 जुलाई 2025 | संवाददाता: उमेर अंसारी]

राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत अल्पसंख्यक तालीमी व तहक़ीक़ी संस्था — “मार्टी (MARTI)” — को ज़मीन पर उतारने की माँग ने अब एक जनांदोलन का रूप ले लिया है। आगामी 8 जुलाई 2025, मंगलवार को हज हाऊस, किल्ले आरक स्थित अल्पसंख्यक आयुक्तालय के बाहर एक शांतिपूर्ण एवं क़ानूनी धरना आयोजित किया जा रहा है। आयोजकों ने इसे “आवाज़ बुलंद अभियान” नाम दिया है, जो अल्पसंख्यक युवाओं के शिक्षा, रोज़गार और आत्मनिर्भरता के हक़ में है।

📢 मार्टी: अल्पसंख्यकों की उम्मीद, क्यों हो रही है देरी?

“मार्टी” का गठन अल्पसंख्यक समाज के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद, यह संस्था केवल कागज़ों पर ही सीमित रह गई है। न तो इसका पूरा पंजीकरण हुआ है, न ही कार्यालय की शुरुआत। यही नहीं, जिन 11 पदों को सरकार ने स्वीकृति दी है, उन पर अब तक कोई नियुक्ति नहीं की गई।

📌 धरना-प्रदर्शन की मुख्य माँगें:

1. मार्टी के लिए अलग बजट शीर्षक की तात्कालिक स्वीकृति

2. कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के अंतर्गत पंजीकरण

3. सभी 11 स्वीकृत पदों पर तुरंत नियुक्तियाँ

4. छ. संभाजीनगर में 6 एकड़ भूमि पर मुख्यालय और ज़ोनल कार्यालय के लिए निधि

5. छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ, योजनाएं और उनके कानूनी अधिकारों की तत्काल बहाली

🗣️ “मार्टी कोई आम संस्था नहीं, यह भविष्य का आधार है”

कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि “मार्टी” महज़ एक संस्था नहीं, बल्कि लाखों अल्पसंख्यक युवाओं के उज्जवल भविष्य की नींव है। यदि इसे धरातल पर नहीं उतारा गया, तो यह समाज के साथ वादा खिलाफी मानी जाएगी।

📍 कार्यक्रम विवरण:

📆 दिनांक: 8 जुलाई 2025, मंगलवार

🕐 समय: दोपहर 12:00 से 5:00 बजे तक

🏢 स्थान: अल्पसंख्यक आयुक्तालय, हज हाऊस, किल्ले आरक, छत्रपति संभाजीनगर, औरंगाबाद

🔊 शांतिपूर्ण, संविधानिक और लोकतांत्रिक प्रदर्शन का आह्वान

आयोजकों ने आम जनता, छात्रों, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और तमाम जागरूक नागरिकों से अपील की है कि वे इस शांतिपूर्ण धरने में भाग लें और एक मज़बूत आवाज़ बनें — क्योंकि जब तक आवा

ज़ बुलंद नहीं होगी, हक़ सुना नहीं जाएगा।

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