श्री राधा कृष्ण मंदिर गिट्टीखदान में श्री राजमाता सप्त गौ प्रदक्षिणा मंदिर का भव्य निर्माण
सुरेंद्रसिंह ठाकुर के अथक प्रयासों से गौ-सेवा और धर्मसंवर्धन को मिला नया आयाम
नागपुर। गिट्टीखदान क्षेत्र का धार्मिक वातावरण अब और अधिक आध्यात्मिक बन गया है। समाजसेवी एवं धर्मनिष्ठ सुरेंद्रसिंह ठाकुर के अथक प्रयासों और संकल्प से श्री राधा कृष्ण मंदिर, दीपक नगर गिट्टीखदान परिसर में श्री राजमाता सप्त गौ प्रदक्षिणा मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है। यह मंदिर अपने स्वरूप और उद्देश्य के कारण पूरे नागपुर ही नहीं बल्कि विदर्भ क्षेत्र में भी चर्चा का केंद्र बन गया है।

शास्त्रों में गौ माता का महत्व
भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में गाय को ‘माता’ का स्थान प्राप्त है।
ऋग्वेद में कहा गया है: “गावो विश्वस्य मातरः” अर्थात गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है।
महाभारत, अनुशासन पर्व में भी उल्लेख मिलता है: “गावः सर्वसुखप्रदा, गावः सर्वसुखप्राप्तये।” यानी गाय मानव जीवन में सुख और शांति की दात्री है।
स्कंद पुराण में कहा गया है कि “गायत्री छंदोमाता, गौः सर्वदेवस्वरूपिणी।”
इन उद्धरणों से स्पष्ट है कि गाय केवल एक पशु नहीं बल्कि संपूर्ण देवताओं का निवासस्थान मानी जाती है।
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गौ-सेवा के प्रति समर्पण
सुरेंद्रसिंह ठाकुर का मानना है कि –
“गाय मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। दूध से लेकर गोबर और गोमूत्र तक, हर वस्तु उपयोगी और पवित्र है। गौ-सेवा से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक चिकित्सा का भी आधार है।”
उन्होंने समाज में यह संदेश फैलाने का बीड़ा उठाया है कि गौ-सेवा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्र और मानवता के कल्याण का साधन है।
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सप्त गौ प्रदक्षिणा का महत्व
गिट्टीखदान में निर्मित यह मंदिर ‘सप्त गौ प्रदक्षिणा’ की परंपरा को जीवंत करता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सात गौमाताओं की प्रदक्षिणा करने का फल हजारों यज्ञ और दान करने के बराबर होता है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है: “सप्तगावः प्रदक्षिण्या, सर्वपापप्रणाशिनी।” अर्थात सात गौ की प्रदक्षिणा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस मंदिर में श्रद्धालु सात बार प्रदक्षिणा कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और पुण्यलाभ की कामना करते हैं।
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हर मंदिर में एक गाय होना आवश्यक
सुरेंद्रसिंह ठाकुर का यह दृढ़ मत है कि –
“हर मंदिर में कम से कम एक गाय अवश्य होनी चाहिए।”
उनका कहना है कि जब मंदिर में भक्त भगवान का दर्शन करने आते हैं तो वहां यदि गाय भी मौजूद हो, तो भक्तजनों को सीधा धर्म और प्रकृति के मिलन का अनुभव होता है।
यह परंपरा न केवल श्रद्धालुओं को धर्म से जोड़ेगी, बल्कि गौ-सेवा की संस्कृति को भी स्थायी बनाएगी।

धार्मिक और सामाजिक संदेश
यह मंदिर केवल पूजा और आस्था का स्थल नहीं है, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है।
गौ-सेवा से समाज में करुणा, प्रेम और सेवा-भावना का प्रसार होता है।
गौ-संवर्धन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
मंदिर परिसर में गाय की उपस्थिति बच्चों और युवाओं के लिए संस्कार शिक्षा का जीवंत उदाहरण बनती है।
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स्थानीय समाज का उत्साह
गिट्टीखदान क्षेत्र के नागरिक इस उपक्रम से गहराई से जुड़ गए हैं।
महिलाएं प्रतिदिन मंदिर आकर गौमाता की सेवा कर रही हैं।
युवा पीढ़ी भी इस धार्मिक कार्य से प्रेरित हो रही है।
श्रद्धालु सप्त गौ प्रदक्षिणा कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह उपक्रम पूरे क्षेत्र को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध करेगा।
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भविष्य की योजना
सुरेंद्रसिंह ठाकुर का कहना है कि भविष्य में मंदिर परिसर का और अधिक विकास किया जाएगा।
गौशाला का विस्तार कर अधिक संख्या में गायों की सेवा की जाएगी।
मंदिर में धार्मिक प्रवचन, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बच्चों और युवाओं के लिए गौ-सेवा एवं भारतीय संस्कृति पर आधारित कार्यशालाएं चलाई जाएंगी।
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गिट्टीखदान का श्री राजमाता सप्त गौ प्रदक्षिणा मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना, गौ-सेवा और सांस्कृतिक जागरण का केंद्र है।
सुरेंद्रसिंह ठाकुर के इस प्रयास से नागपुर और विदर्भ क्षेत्र में धार्मिक उत्साह की नई लहर उठी है।
शास्त्रों में कहा गया है:
“गावः सर्वत्र पूज्यन्ते, नित्यं नित्यं विशेषतः।”
अर्थात गाय की पूजा और सेवा हर समय और हर स्थान पर आवश्यक है।
निश्चित रूप से यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए गौ-भक्ति और संस्कृति का जीवंत स्मारक बनकर समाज को प्रेरणा देता रहेगा।
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